1. आयुष्मान भारत योजना का परिचय और वर्तमान प्रभाव
आयुष्मान भारत: एक संक्षिप्त परिचय
आयुष्मान भारत योजना, जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) भी कहा जाता है, भारत सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना है। इस योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य गरीब और कमजोर वर्ग के परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इसके तहत प्रति परिवार प्रतिवर्ष ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में मिलता है। यह योजना सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर आधारित है और देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करती है।
वर्तमान प्रभाव: समाज और अर्थव्यवस्था पर असर
आयुष्मान भारत ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाया है। इसके लागू होने के बाद से निम्नलिखित बदलाव देखने को मिले हैं:
प्रभाव क्षेत्र | मुख्य उपलब्धियाँ |
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स्वास्थ्य सेवा पहुँच | मुफ्त इलाज से लाखों गरीब परिवारों को राहत मिली, इलाज के लिए कर्ज लेने या संपत्ति बेचने की जरूरत घटी। |
आर्थिक बोझ में कमी | महंगे इलाज का खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को बड़ी राहत मिली। |
रोजगार सृजन | अस्पतालों में स्टाफ, नर्सिंग व अन्य सहायक कर्मचारियों की मांग बढ़ी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े। |
स्वास्थ्य जागरूकता | लोगों में हेल्थ चेकअप और प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की जागरूकता बढ़ी, जिससे बीमारियों की रोकथाम संभव हुई। |
ग्रामीण-शहरी अंतर घटा | ग्रामीण इलाकों में भी अच्छे अस्पतालों तक पहुंच आसान हुई, जिससे स्वास्थ्य असमानता कम हुई। |
समाज में बदलाव: जमीनी हकीकत
कई राज्यों में आयुष्मान भारत योजना के कारण गरीब मरीज बिना किसी झिझक के इलाज कराने लगे हैं। पहले जहां छोटी बीमारी भी बड़ी चिंता बन जाती थी, वहीं अब लोग गंभीर बीमारियों का भी इलाज करा पा रहे हैं। इससे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सेहत सुधरी है और पूरे परिवार का भविष्य सुरक्षित हुआ है।
इसी तरह, अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ा है क्योंकि इलाज पर होने वाला अतिरिक्त खर्च बचा कर लोग अपनी आय का उपयोग शिक्षा, पोषण और अन्य जरूरतों पर कर पा रहे हैं। इस योजना ने न सिर्फ स्वस्थ समाज बनाने में मदद की है बल्कि भारत के समावेशी विकास को भी मजबूती दी है।
2. प्रौद्योगिकी आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ
डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स का महत्त्व
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत, डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स (DHR) को अपनाना भारतीय स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। डिजिटल रिकॉर्ड्स से मरीजों की जानकारी सुरक्षित रहती है और डॉक्टर कहीं से भी उनकी मेडिकल हिस्ट्री देख सकते हैं। इससे इलाज में तेजी आती है, गलतियाँ कम होती हैं और बार-बार टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं पड़ती। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ डॉक्युमेंटेशन की समस्या थी, वहाँ डिजिटल रिकॉर्ड्स का उपयोग बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है।
डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स के लाभ
लाभ | विवरण |
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सुलभता | मरीज और डॉक्टर कभी भी, कहीं भी डेटा एक्सेस कर सकते हैं |
सुरक्षा | कागज़ी रिकॉर्ड्स खोने या खराब होने का डर नहीं रहता |
समय की बचत | इलाज में देरी नहीं होती और जांचें दोहरानी नहीं पड़तीं |
एनालिटिक्स | डेटा के आधार पर बीमारियों का विश्लेषण आसान होता है |
टेलीमेडिसिन: दूरदराज़ क्षेत्रों के लिए वरदान
भारत के कई गाँव और पहाड़ी इलाके ऐसे हैं जहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों की पहुँच सीमित है। टेलीमेडिसिन तकनीक ने इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को घर बैठे सलाह और उपचार पाने का मौका दिया है। स्मार्टफोन या कंप्यूटर के जरिए मरीज वीडियो कॉल पर डॉक्टर से बात कर सकते हैं, रिपोर्ट दिखा सकते हैं और दवा लिखवा सकते हैं। यह सुविधा न केवल समय और पैसे की बचत करती है, बल्कि गंभीर बीमारियों की जल्दी पहचान में भी मददगार है। आयुष्मान भारत योजना के तहत इस तकनीक का विस्तार ग्रामीण भारत तक किया जा रहा है।
टेलीमेडिसिन की प्रमुख खूबियाँ:
- विशेषज्ञ डॉक्टरों तक आसान पहुंच
- यात्रा में समय और खर्च की बचत
- आपातकालीन स्थिति में त्वरित सलाह
- ग्रामीण व पिछड़े इलाकों के लिए उपयोगी समाधान
मोबाइल ऐप्स: स्वास्थ्य सेवाओं को सरल बनाना
आयुष्मान भारत योजना के तहत विकसित मोबाइल ऐप्स जैसे आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी आदि ने लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ना आसान बना दिया है। इन ऐप्स के जरिये लोग नजदीकी अस्पताल ढूंढ सकते हैं, अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं, मुफ्त सलाह ले सकते हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी पा सकते हैं। मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल से ये सुविधाएं अब हर किसी की पहुँच में आ रही हैं। इसके अलावा, भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए इन ऐप्स को हिंदी, तमिल, बंगाली जैसी स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराया गया है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इनका लाभ उठा सकें।
मोबाइल ऐप्स द्वारा मिलने वाली मुख्य सुविधाएँ:
फीचर | विवरण |
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अस्पताल लोकेटर | नजदीकी सरकारी अस्पताल खोजने में मदद करता है |
ऑनलाइन अपॉइंटमेंट | डॉक्टर से मिलने का समय पहले ही बुक किया जा सकता है |
हेल्थ टिप्स & अलर्ट्स | महत्वपूर्ण जानकारी व स्वास्थ्य सुझाव मिलते हैं |
सरकारी योजनाओं की जानकारी | सरकारी हेल्थ स्कीम्स की डिटेल्स जान सकते हैं |
भाषा विकल्प | स्थानीय भाषाओं में उपलब्धता बेहतर पहुंच देती है |
इस प्रकार, प्रौद्योगिकी आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ आयुष्मान भारत योजना को अधिक प्रभावशाली और व्यापक बना रही हैं। इससे हर भारतीय नागरिक तक गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना संभव हो रहा है।
3. लाभार्थियों की पहुंच और जागरूकता
समुदाय स्तर पर योजना की जानकारी
आयुष्मान भारत योजना का असली लाभ तभी मिल सकता है जब समुदाय के हर व्यक्ति तक इसकी जानकारी पहुँचे। कई बार देखा गया है कि ग्रामीण इलाकों में लोग इस योजना के बारे में नहीं जानते, जिससे वे इसका लाभ नहीं उठा पाते। गाँवों में पंचायत, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और आशा बहुओं के माध्यम से लोगों को योजना की जानकारी दी जा सकती है। शहरी इलाकों में भी सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और लोकल एनजीओ की मदद से जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।
ग्रामीण एवं शहरी भारत में पहुंच संबंधी चुनौतियाँ
चुनौती | ग्रामीण क्षेत्र | शहरी क्षेत्र |
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जानकारी की कमी | बहुत अधिक | मध्यम |
डिजिटल साक्षरता | कम | अधिक |
दस्तावेज़ संबंधित समस्याएँ | अक्सर आती हैं | कभी-कभी आती हैं |
हेल्थ सेंटर तक पहुँच | दूरी ज्यादा | सुविधाजनक |
भाषा व संवाद की बाधा | स्थानीय भाषा जरूरी | अनेक भाषाएँ होती हैं |
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित है और कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता। शहरी क्षेत्रों में भले ही अस्पताल और क्लीनिक ज्यादा हों, लेकिन स्लम जैसी जगहों पर रहने वाले लोगों को योजना के बारे में जानकारी देने की जरूरत है। डिजिटल प्लेटफार्म्स के इस्तेमाल में भी ग्रामीण भारत पीछे है, जिससे ऑनलाइन आवेदन या हेल्पलाइन का उपयोग कठिन हो जाता है।
जागरूकता बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक दृष्टिकोण
भारत विविधताओं वाला देश है, यहाँ हर राज्य की अपनी भाषा और संस्कृति है। इसलिए आयुष्मान भारत योजना के प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक तौर-तरीकों का उपयोग करना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए:
- गाँवों में नुक्कड़ नाटक, लोकगीत और मेले जैसे आयोजनों के माध्यम से संदेश पहुँचाया जाए।
- शहरों में सोशल मीडिया, रेडियो और टीवी विज्ञापनों को स्थानीय बोलियों में चलाया जाए।
- धार्मिक या पारंपरिक आयोजनों में भी योजना की जानकारी साझा करें ताकि ज्यादा लोग जुड़ सकें।
- महिलाओं और युवाओं को योजना का ब्रांड एंबेसडर बनाकर जागरूकता अभियान चलाया जाए।
इस तरह सांस्कृतिक नजरिए से जागरूकता बढ़ाने पर सभी वर्ग के लोग खुद को इस योजना से जुड़ा महसूस करेंगे और इसका लाभ ले पाएंगे। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आयुष्मान भारत योजना की जानकारी हरेक गाँव, मोहल्ले और समुदाय तक सरल भाषा व माध्यम से पहुंचे।
4. जोखिम मूल्यांकन और धोखाधड़ी नियंत्रण
योजना के कार्यान्वयन में आने वाले मुख्य जोखिम
आयुष्मान भारत योजना के सफल कार्यान्वयन में कई प्रकार के जोखिम सामने आते हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं लाभार्थी पहचान में त्रुटियां, अस्पतालों द्वारा फर्जी क्लेम, और डेटा की सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं। ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी भी योजनाओं के दुरुपयोग का कारण बन सकती है।
मुख्य जोखिमों का सारांश
जोखिम | विवरण | भारतीय संदर्भ में उदाहरण |
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लाभार्थी पहचान में त्रुटि | गलत या डुप्लीकेट लाभार्थी का पंजीकरण | बिना पात्रता के लाभार्थियों को कार्ड जारी होना |
फर्जी क्लेम/धोखाधड़ी | अस्पतालों द्वारा नकली बिलिंग या सेवाएं दिखाना | कागजों पर इलाज दिखाकर पैसे वसूलना |
डेटा सुरक्षा और गोपनीयता | लाभार्थियों की निजी जानकारी का दुरुपयोग | डेटा लीक या अवैध रूप से बेचने की घटनाएं |
डिजिटल साक्षरता की कमी | योजना से जुड़े ऑनलाइन प्रोसेस को न समझ पाना | ग्रामीण क्षेत्रों में योजना का सही लाभ न मिलना |
क्लेम फ्रॉड एवं अन्य चुनौतियां
आयुष्मान भारत योजना में क्लेम फ्रॉड एक बड़ी समस्या है, जिसमें अस्पताल या अन्य सेवा प्रदाता झूठे मरीज, गैर-ज़रूरी इलाज, या नकली दस्तावेज़ प्रस्तुत करके भुगतान प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर दलालों की भूमिका भी बढ़ती जा रही है, जो लाभार्थियों से अवैध वसूली कर सकते हैं। अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच तालमेल की कमी तथा वास्तविक समय पर निगरानी तंत्र का अभाव भी महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
चुनौतियों का विवरण एवं प्रभाव
चुनौती | प्रभाव/परिणाम | भारतीय परिप्रेक्ष्य में समाधान सुझाव |
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फर्जी क्लेम्स (Fraudulent Claims) | योजना का बजट जल्दी खर्च हो जाता है, असली जरूरतमंद छूट जाते हैं। | आईटी-आधारित क्लेम ऑडिट सिस्टम, नियमित निरीक्षण और शिकायत पोर्टल्स विकसित करना। |
दलालों का हस्तक्षेप (Agents Intervention) | लाभार्थियों से अवैध वसूली होती है, पारदर्शिता घटती है। | सीधे बैंक खाते में भुगतान, जागरूकता अभियान चलाना। |
तालमेल की कमी (Coordination Issues) | समय पर इलाज या भुगतान नहीं मिल पाता। प्रक्रिया धीमी हो जाती है। | इंटीग्रेटेड आईटी प्लेटफॉर्म और ट्रेनिंग प्रोग्राम लागू करना। |
निगरानी तंत्र की कमजोरी (Weak Monitoring) | गड़बड़ी समय रहते पकड़ में नहीं आती। नुकसान बढ़ता है। | रीयल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम और स्वतंत्र ऑडिट एजेंसियां नियुक्त करना। |
भारतीय प्रसंग में उपयुक्त समाधान
भारत जैसे विविध और बड़े देश में आयुष्मान भारत योजना के लिए निम्नलिखित समाधान उपयोगी हो सकते हैं:
- Aadhaar आधारित सत्यापन: सभी लाभार्थियों और अस्पतालों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करें ताकि डुप्लीकेट पंजीकरण न हो सके।
- I.T. आधारित निगरानी: क्लेम प्रोसेसिंग को पूरी तरह डिजिटल बनाकर फर्जीवाड़े को कम किया जा सकता है। मशीन लर्निंग तकनीक से संदिग्ध गतिविधि तुरंत पकड़ी जा सकती है।
- स्थानीय जागरूकता अभियान: गांव-गांव जाकर लोगों को उनके अधिकार और सुरक्षा उपाय समझाए जाएं, जिससे वे खुद सतर्क रहें।
- शिकायत समाधान प्रणाली: हर जिले में टोल-फ्री नंबर और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल उपलब्ध कराना आवश्यक है ताकि लोग आसानी से गड़बड़ी रिपोर्ट कर सकें।
- स्वतंत्र ऑडिट टीम: सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों का समय-समय पर स्वतंत्र ऑडिट किया जाना चाहिए ताकि अनियमितताओं को रोका जा सके।
संक्षिप्त रूप से कहें तो आयुष्मान भारत योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए पारदर्शिता, तकनीकी निगरानी और सामुदायिक सहभागिता बेहद जरूरी है। इन उपायों को अपनाकर योजना को अधिक सुरक्षित एवं भरोसेमंद बनाया जा सकता है।
5. सुझाव: सरकार, निजी क्षेत्र और सामुदायिक भागीदारी
नीतिगत सुधार (Policy Recommendations)
आयुष्मान भारत योजना की सफलता के लिए यह जरूरी है कि नीतियों में समय-समय पर सुधार किए जाएं। सरकार को स्वास्थ्य बीमा कवरेज में और अधिक पारदर्शिता लाने, बजट आवंटन बढ़ाने और राज्यों के साथ समन्वय मजबूत करने की जरूरत है। इससे योजना का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचेगा।
नीतिगत सुधार | उद्देश्य |
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सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल को बढ़ावा देना | बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना |
डिजिटल रिकॉर्ड्स अनिवार्य करना | पारदर्शिता और ट्रैकिंग में सुधार |
स्वास्थ्यकर्मियों की ट्रेनिंग | सेवा गुणवत्ता में वृद्धि |
बजट में इजाफा | संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाना |
तकनीकी सुधार (Technological Enhancements)
तकनीकी समाधान आयुष्मान भारत योजना की दक्षता को कई गुना बढ़ा सकते हैं। डिजिटल हेल्थ कार्ड, मोबाइल ऐप्स और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने में मददगार साबित हो रही हैं। नीचे कुछ मुख्य तकनीकी सुझाव दिए गए हैं:
- डिजिटल हेल्थ कार्ड: हर लाभार्थी को यूनिक आईडी के साथ डिजिटल हेल्थ कार्ड जारी करें। इससे इलाज का ट्रैक रखना आसान होगा।
- मोबाइल एप्लिकेशन: ग्रामीण लोगों के लिए सरल भाषाओं में मोबाइल ऐप विकसित करें, जिससे वे अस्पतालों की सूची, दावा स्थिति, और योजना की जानकारी पा सकें।
- टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म: दूर-दराज़ के इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों से वीडियो कॉल द्वारा सलाह देने की व्यवस्था करें।
- डेटा सुरक्षा: सभी डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र लागू करें।
तकनीकी सुधार तालिका
सुधार का प्रकार | लाभार्थियों पर प्रभाव | कार्यान्वयन की चुनौती |
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डिजिटल हेल्थ कार्ड्स | तेज़ और सटीक सेवा वितरण | ID सत्यापन, डेटा एकत्रण में सावधानी आवश्यक |
मोबाइल ऐप्स (स्थानीय भाषाओं में) | सुविधाजनक सूचना प्राप्ति | डिजिटल साक्षरता कम होना |
टेलीमेडिसिन सेवाएँ | विशेषज्ञ सलाह सुलभ बनाना | इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी |
डेटा सुरक्षा उपाय | लाभार्थियों का विश्वास बढ़ाना | तकनीकी निवेश एवं ट्रेनिंग आवश्यक |
समुदाय-आधारित सुधार (Community-Based Improvements)
गांव-गांव तक आयुष्मान भारत योजना का लाभ पहुंचाने के लिए समुदाय की भूमिका बेहद अहम है। जागरूकता अभियान, स्थानीय स्वयंसेवी समूहों की भागीदारी और पंचायतों के सहयोग से योजना को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है। नीचे कुछ मुख्य सुझाव दिए गए हैं:
- जागरूकता अभियान: स्थानीय भाषा और संस्कृति के अनुसार जन-जागरूकता अभियान चलाएं। टीवी, रेडियो, और सोशल मीडिया का उपयोग करें।
- Panchayat सहभागिता: ग्राम पंचायतों को योजना के प्रचार-प्रसार व लाभार्थियों की पहचान में शामिल करें।
- NGO सहयोग: स्थानीय NGOs को प्रशिक्षण देकर योजनाओं की निगरानी व सहायता कार्यों में जोड़ें।
समुदाय आधारित सुधार तालिका
सुझाव | लाभ |
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Panchayat भागीदारी | BPL परिवारों तक योजना पहुंचाना आसान |
Ngo सहयोग | Zyadah लोगों तक सही जानकारी पहुँचाना |
Lokal भाषा में प्रचार-प्रसार | Labharthiyon का विश्वास बढ़ेगा |
Aise नीतिगत, तकनीकी और सामुदायिक प्रयास मिलकर आयुष्मान भारत योजना को अधिक कारगर और सतत बना सकते हैं। इससे भारत के हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना संभव होगा।
6. भविष्य की दिशा और दीर्घकालिक परिवर्तन
आयुष्मान भारत योजना के आगे बढ़ने के संभावित मार्ग
आयुष्मान भारत योजना ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को कई स्तरों पर मजबूत किया है, लेकिन भविष्य में इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ नए रास्तों की जरूरत है। डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स, टेलीमेडिसिन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का समावेश इस योजना को अधिक सशक्त बना सकता है। इनोवेशन से ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँच सकेंगी।
तकनीकी सुधार और नवाचार
नवाचार/तकनीक | संभावित लाभ |
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डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स | रोगियों का डाटा सुरक्षित और कहीं भी उपलब्ध, इलाज में तेजी |
टेलीमेडिसिन | दूरदराज़ क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह आसानी से पहुँचना |
एआई आधारित डायग्नोसिस | तेज और सटीक रोग पहचान, मानव भूल में कमी |
मोबाइल एप्स एवं पोर्टल्स | सरल पंजीकरण, इलाज की जानकारी एवं शिकायत निवारण प्रणाली |
भारतीय सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से सुधार व समावेश की संभावनाएँ
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर राज्य और समुदाय के अपने रीति-रिवाज और मान्यताएँ हैं। आयुष्मान भारत योजना की सफलता के लिए यह जरूरी है कि इसमें भारतीय मूल्यों, पारंपरिक चिकित्सा (आयुर्वेद, योग), स्थानीय भाषाओं और महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाया जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को स्थानीय संस्कृति के अनुरूप प्रशिक्षित करना भी जरूरी है। इससे लोग अपनी भाषा और विश्वास के अनुसार चिकित्सा सेवाओं को अपनाने में सहज महसूस करेंगे।
संभावित सुधार की रूपरेखा:
सुधार का क्षेत्र | संभावित कदम |
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स्थानीय भाषा में सूचना | स्वास्थ्य संदेश व दिशा-निर्देश क्षेत्रीय भाषाओं में जारी करना |
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण | महिलाओं को समुदाय स्तर पर ज्यादा जिम्मेदारी देना ताकि वे अन्य महिलाओं को जागरूक कर सकें |
पारंपरिक चिकित्सा का समावेश | आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध जैसे पद्धतियों को भी विकल्प के रूप में जोड़ना |
समुदाय आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम | स्थानीय ग्राम पंचायत या स्वयं सहायता समूहों द्वारा निगरानी व सुझाव लेना |
इस तरह तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक समावेशिता से आयुष्मान भारत योजना आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में दीर्घकालिक परिवर्तन ला सकती है।